बच्चेदानी में गांठ का घरेलू उपचार:नहीं पड़ेगी ऑपरेशन की ज़रूरत

बच्चेदानी में गांठो से बचाव के लिए घरेलू उपचार: “हिंदी में”

महिलाओं में सबसे ज्यादा पाए जाने वाली बीमारी मे से एक होती है यूट्रस(Uterus) में गांठ  , हम लोग आम भाषा में इसे बच्चेदानी में गांठ से भी जानते है| इस बीमारी के दौरान महिला के बच्चेदानी में उसकी दीवार के अंदर बहार दोनों तरफ कई प्रकार की गांठे आ जाती है|

 

इनमें से अधिकांश गांठें कैंसर नहीं होती हैं और कुछ मामले में यह गांठे कैंसर तक हो सकती है, जो की सिर्फ सर्जरी से ही हटाई जा सकती है| और ऐसा बहुत ही कम मामले में पाया जाता है, अधिकतर समय गांठे सामान्य होती है जो की ख़राब दिन चर्या की वजह से पैदा होती है और आज हम यही समझने का प्रयास करेंगे की क्या इन गांठो का इलाज घर पर संभव है|

क्या बच्चेदानी में गांठ घर पर सही हो सकती है?

जैसे की हमने ऊपर पढ़ा की हर एक गांठ कैंसर की नहीं होती तो ज्यादातर का इलाज घर पे संभव है| अगर सही तरीके से देखभाल की जाये तो घरेलु उपाय आपको आराम पंहुचा सकते है|

 

उम्र, प्रेग्नेंसी, मोटापा जैसे कई अनेक कारणों की वजह से बच्चेदानी की समस्या बन जाती है| इन बीमारियों की जड़े हमारे ख़राब दिनचर्या की वजह से होती है| इनका घरेलु उपाय जानने से पहले आपको यह जानना बहुत जरुरी है की यह गांठे होती क्यों है ताकि आप पहले से एहतियात ले पाए|

क्यों होती है बच्चेदानी में गांठ? 

बच्चेदानी में गांठ क्यों बनती हैं, यह बता पाना पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि कुछ चीजें मिलकर इन गांठों को बनने में भूमिका निभा सकती हैं जैसे –

 

हार्मोन्स का असंतुलन – महिलाओ में पाए जाने वाले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन वो हार्मोन हैं जो मासिक धर्म को नियमित रखते हैं, और फाइब्रॉइड बनने में अहम भूमिका निभाते हैं| लेकिन अगर  एस्ट्रोजन की मात्रा ज्यादा हो जाये , जैसा कि गर्भावस्था में या हार्मोनल गर्भनिरोधक लेने से होता है, तो गांठ बन सकती है|

 

महिलाओ में वजन – मोटापा और वजन बढ़ना एक ऐसी प्रक्रिया है जिस पर ध्यान नहीं जाता लेकिन यह  अपने साथ अनेक तरह की बीमारिया ले कर आता है| कई विशेषज्ञो के अनुसार महिलायें जो की मोटापे का शिकार है उसको गर्भाशय मे गांठ की समस्या बनने की संभावना ज्यादा है|

 

जेनेटिक –  कुछ शोध बताते हैं कि फाइब्रॉइड होने की संभावना जीन (वंशान) से भी जुड़ी हो सकती है|  मतलब की अगर आपके परिवार में  माँ, दादी या किसी करीबी रिश्तेदार को फाइब्रॉइड हुए हैं, तो यह आपको भी होने का खतरा थोड़ा ज्यादा हो सकता है|

 

जीवनशैली कारण – गांठे कई बार ख़राब दिनचर्या की वजह से भी हो जाती है| अगर आपके आहार में पोषण की कमी है जैसे विटामिन्स और मिनरल्स या फिर आपकी फिजिकल फिटनेस नहीं है तो यह भी दिक्कत बना सकते है| आजकल के जीवन में तरह-तरह के नशा या टॉक्सिन्स मजूद होते जिनका दुष्प्रभाव आपकी बच्चेदानी पर पर सकता है |

 

कुछ चीजें – गांठे का पैदा होने का खतरा बढ़ा सकती हैं, जैसे कि 10 साल की उम्र से पहले मासिक धर्म शुरू होना,  शरीर में बहुत अधिक चर्बी होना (मोटापा), विटामिन डी की कमी होना, ज्यादा लाल मांस खाना और हरी सब्जियां, फल और डेयरी कम खाना, और शराब पीना।

 

इस बीमारी को घर पर इलाज करने के लिए कई प्रकार होते है और इन सबको हमने आगे विस्तार से चर्चा की हुई है

 

   बच्चेदानी में गांठो से बचाव 

  • सबसे पहला और जरूरी चरण होता है की हम अपने आप को इस बीमारी से बचाव कर ले ताकि आगे जाकर कोई गांठ की समस्या उत्पन्न ना हो|
  • आपको गलत खांन पान और नशा से बचाव करना पड़ेगा क्योकि इनमे हनिकारक तत्व होते है जो की आपके गर्भाशय पे असर डालते है|
  • हालांकि हर चीज का बचाव करना संभव नहीं है, लेकिन अगर आप खुद को सचेत रखते है तो आगे जाकर दिक्कत नहीं होगी या फिर कम होगी|
  • प्रोसेस्ड फूड, लाल मांस, और अत्यधिक वसा युक्त भोजन से बचें।

घरेलू उपाय गांठो को सही करने के लिए

अगर आप अपने आपको हानिकारक चीजों से बचा लिए है तो यह जरुरी है की आप अपने पोषण का ध्यान दे| अपने वजन के हिसाब से प्रोटीन ले, विटामिन्स और मिनिरल्स से भरपूर डाइट ले|

 

पोषण युक्त आहार:

हरी सब्जी, फल और मिनिरल्स युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन बढ़ाना पड़ेगा, आप डेरी प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल अपनी रोजाना डाइट में बढ़ा सकते है ताकि आपकी आवश्क्य जरूरते पूरी हो सके| अगर आपकी विटामिन्स की जरुरत खाने से पूरी नहीं हो पा रही है, तो आप कैप्सूल्स से भी इनकी पूर्ति कर सकते है|

 

शरीर में जरूरी तत्व की कमियों की वजह से ऐसी बीमारी बन जाती है तो आपका उद्देश्य ये होना चाहिए की उनकी कमी आपके शरीर में ना हो खास कर आपकी उम्र 30 साल से ज्यादा है तो आपके लिए अनिवार्य है|

 

गांठो को सही करने के लिए आयुर्वेदिक तरीका

त्रिफला – इसमें  एंटीनोप्लास्टिक एजेंट होते हैं जो किसी भी तरह की गांठो से लड़ने के लिए सक्षम है|  इसके साथ ही एनसीबीआई में प्रकाशित एक स्टडी में भी त्रिफला को गर्भाशय में होने वाले फाइब्रॉयड में फायदेमंद माना गया है। आप इसको पाउडर या काढ़े के रूप में रोज रात को ले सकते हैं।

 

अमला और हल्दी – हल्दी में करक्यूमिन होता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं और अमला (Amla) अपने एंटी-फाइब्रॉटिक की खासियत के लिए जाना जाता है| दोनों में पाए जाने वाले गुण शरीर में इम्यूनिटी बनाते है जो की किसी भी तरह के इन्फेक्शन को दूर करने का काम करती है|

 

शतावरी अशोक – यह एक जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग फाइब्रॉएड सहित मासिक धर्म संबंधी विकारों के इलाज के लिए मदद करती है| इनका उपयोग करने से आपके शरीर को गांठ की वजह से आने वाली परेशानियां जैसे की जलन या अनियमितता में राहत मिलेगी| यह जड़ी बूटियां आपके शरीर को ठंडक पहुंचाने का काम करती है|

 

गांठो को सही करने के लिए शारीरिक फिटनेस

 

  • ये एक ऐसा महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो की घर से ही संभव है और इसका नियमित रूप से प्रयोग, आपके शरीर को स्वस्थ रखने में अनेको बीमारियों से दूर रखने में काम आता है|
  • रोजाना कम से कम 30 मिनट्स आपको अपने शारीरिक कार्य पर ध्यान देना चाहिए| आप व्यायाम कर सकते है या फिर कुछ योगासन जैसे की पवनमुक्तासन, भुजंगासन, और मलासन आपके दर्द को कम करने मे मदद करते हैं |

गर्भाशय में गांठ (फाइब्रॉयड), जो की असल में गैर-कैंसरग्रस्त गांठ होती हैं, ये दुनियाभर में लाखों महिलाओं को प्रभावित करती हैं| इसलिए आपको इसको गंभीर रूप से लेना चाहिए और सही कदम उठाने चाहिए|

 

कब करें डॉक्टर से संपर्क?

यदि घरेलू उपायों के बावजूद लक्षण बने रहते हैं या बढ़ते हैं, जैसे:

  1. अत्यधिक रक्तस्राव
  2. अत्यधिक दर्द या सूजन
  3. प्रेग्नेंसी से जुड़ी जटिलताएं

तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें। घरेलू उपायों से केवल प्रारंभिक चरणों में राहत मिल सकती है, लेकिन यह पूर्ण उपचार नहीं हैं।

 

इस ब्लॉग की समीक्षा डॉ रीता बक्शी ने की है जो भारत में 40 वर्षों से (IVF  Treatment) (IUI Treatment) (ICSI Treatment) और ( Surrogacy Treatment ) जैसी  बीमारियों के चिकित्सा का अनुभव रखती है|                                                                                                                                         

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