आईवीएफ क्या होता है और क्यों होता है IVF? जानिए प्रक्रिया और लाभ

आईवीएफ क्या होता है? यह किन कारणों से किया जाता है और इसकी प्रक्रिया कितनी कारगर है?

आईवीएफ क्या होता है? आईवीएफ (In Vitro Fertilization) एक आधुनिक तकनीक है। यह संतान चाहने वाले दंपतियों के लिए वरदान है। यह उन लोगों की मदद करता है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे। इसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को लैब में मिलाया जाता है। यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है। इसे सही से समझना जरूरी है, ताकि सही निर्णय लिया जा सके।

 

RISAA IVF, Best IVF Centre in Delhi है, जहां Senior fertility specialist, Dr. Rita Bakshi मरीजों की देखभाल करती हैं। उनके पास 35+ साल का अनुभव है और उन्होंने 25,000 से अधिक सफल प्रक्रियाएं की हैं। यहां उन्नत तकनीक और व्यक्तिगत देखभाल के साथ उपचार किया जाता है। आज के इस ब्लॉग में हम आपको आईवीएफ की पूरी जानकारी देंगे, ताकि आप सही निर्णय ले सकें।

आईवीएफ Full Form

आईवीएफ क्या होता है? IVF (आईवीएफ) की फुल फॉर्म इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization) होती है। यह एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें अंडाणु और शुक्राणु को शरीर के बाहर लैब में निषेचित किया जाता है। इसके बाद भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह तकनीक उन दंपतियों के लिए मददगार है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। First IVF in India 1978 में सफलतापूर्वक किया गया था।

 

आज के समय में आईवीएफ बहुत आम हो गया है। लाखों दंपति हर साल इसका सहारा लेते हैं। बढ़ती जीवनशैली की चुनौतियों, देरी से शादी और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण इसकी मांग बढ़ रही है। अब यह एक सुरक्षित और सफल तरीका माना जाता है।

आईवीएफ क्यों किया जाता है?

आईवीएफ क्या होता है? इन विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन(In Vitro Fertilization) एक चिकित्सा प्रक्रिया है। इसका उपयोग उन दंपतियों की सहायता के लिए किया जाता है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। इसमें अंडाणु और शुक्राणु को शरीर के बाहर, प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है। फिर बने भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। आईवीएफ निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है:

 

  • बांझपन: जब दंपति एक वर्ष तक नियमित प्रयास के बाद भी गर्भधारण में असमर्थ हों।
  • फैलोपियन ट्यूब में रुकावट: जब महिला की फैलोपियन ट्यूब बंद या क्षतिग्रस्त हों, जिससे अंडाणु और शुक्राणु का मिलन संभव नहीं होता।
  • एंडोमेट्रियोसिस: इस स्थिति में गर्भाशय की अंदरूनी परत की कोशिकाएं बाहर बढ़ती हैं, जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।
  • पुरुषों में शुक्राणु संबंधी समस्याएं: जैसे कम संख्या या कमजोर गतिशीलता वाले शुक्राणु।
  • अनुवांशिक विकार: यदि दंपति में कोई आनुवंशिक विकार हो, तो स्वस्थ भ्रूण चयन के लिए आईवीएफ का उपयोग किया जाता है।
  • अनजान कारण: जब बांझपन का कोई स्पष्ट कारण नहीं मिलता, तब भी आईवीएफ एक विकल्प होता है।

 

इन विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन प्रक्रिया जटिल हो सकती है। इसलिए, इसे शुरू करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है।

आईवीएफ क्या होता है और कैसे होता है?

आईवीएफ क्या होता है? IVF एक प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को लैब में निषेचित किया जाता है। इसके बाद भ्रूण को गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे गर्भधारण संभव हो सके। यह तकनीक उन दंपतियों के लिए फायदेमंद होती है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। अब आइए देखते हैं कि आईवीएफ के अलग-अलग चरण क्या होते हैं और इसे कैसे किया जाता है।

इन विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ़) कैसे होता है? (IVF Process Step by Step)

1. अंडाणु उत्पादन को बढ़ाना (Ovarian Stimulation)

 

  • महिला को हार्मोनल दवाएं दी जाती हैं ताकि अधिक स्वस्थ अंडाणु विकसित हो सकें।
  • नियमित अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट के जरिए अंडाणुओं की वृद्धि पर नजर रखी जाती है।

 

2. अंडाणु संग्रहण (Egg Retrieval)

 

  • जब अंडाणु परिपक्व हो जाते हैं, तो एक छोटी सर्जरी द्वारा उन्हें निकाला जाता है।
  • यह प्रक्रिया हल्की बेहोशी (सिडेशन) में की जाती है ताकि कोई दर्द न हो।

 

3. निषेचन (Fertilization)

 

  • निकाले गए अंडाणु और शुक्राणु को लैब में मिलाया जाता है।
  • निषेचन दो तरीकों से किया जाता है:

      1. सामान्य तरीके से शुक्राणु को अंडाणु के साथ रखा जाता है।

      2.  ICSI (इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन), जहां एक स्वस्थ शुक्राणु को सीधे अंडाणु में डाला जाता है।

 

4. भ्रूण विकास (Embryo Culture)

 

  • निषेचित अंडाणु को 3-5 दिनों तक लैब में विकसित किया जाता है।
  • डॉक्टर सबसे अच्छे भ्रूण का चयन करते हैं, जिससे गर्भधारण की संभावना अधिक हो।

 

5. भ्रूण प्रत्यारोपण (Embryo Transfer)

 

  • तैयार भ्रूण को महिला के गर्भाशय में एक पतली ट्यूब (कैथेटर) की मदद से डाला जाता है।
  • यह एक सरल और दर्दरहित प्रक्रिया होती है।

6. प्रेग्नेंसी टेस्ट (गर्भधारण की पुष्टि)- IVF Pregnancy

 

  • भ्रूण प्रत्यारोपण के लगभग 12-14 दिनों बाद ब्लड टेस्ट किया जाता है।
  • अगर टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो गर्भधारण की पुष्टि हो जाती है।

 

IVF प्रक्रिया पूरी तरह से डॉक्टर की देखरेख में होती है और यह कई दंपतियों के लिए संतान सुख का एक सुरक्षित और सफल विकल्प बन चुकी है।

आईवीएफ कितने दिन में होता है?

आईवीएफ क्या होता है? इन विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन प्रक्रिया आमतौर पर 4 से 6 हफ्ते में पूरी हो जाती है। हालांकि, यह समय व्यक्ति की मेडिकल कंडीशन और उपचार के प्रकार पर निर्भर करता है।

 

चरण समय (लगभग) विवरण
ओवेरियन स्टिमुलेशन 10-14 दिन हार्मोनल दवाओं से अंडाणु विकसित किए जाते हैं। अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट किए जाते हैं।
एग रिट्रीवल (अंडाणु संग्रहण) 1 दिन परिपक्व अंडाणु को एक छोटी सर्जरी के जरिए निकाला जाता है।
निषेचन और भ्रूण विकास 3-5 दिन लैब में अंडाणु और शुक्राणु को मिलाया जाता है और भ्रूण विकसित किया जाता है।
भ्रूण प्रत्यारोपण 1 दिन अच्छे भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है।
प्रेग्नेंसी टेस्ट 12-14 दिन बाद भ्रूण प्रत्यारोपण के लगभग 2 हफ्ते बाद ब्लड टेस्ट से गर्भधारण की पुष्टि की जाती है।

 

आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं? (IVF Injections)

आईवीएफ प्रक्रिया में महिला को लगभग 10-12 दिनों तक हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं। इसके बाद, अंडाणु परिपक्व करने के लिए एक ट्रिगर इंजेक्शन लगाया जाता है। भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद, गर्भाशय को समर्थन देने के लिए प्रोजेस्टेरोन इंजेक्शन या सपोसिटरीज़ दी जाती हैं। यह लगभग 10-14 दिनों तक जारी रहती हैं। कुल मिलाकर, इंजेक्शनों की संख्या व्यक्ति की चिकित्सा स्थिति और उपचार प्रोटोकॉल पर निर्भर करती है।

आईवीएफ के दौरान कितने अंडे निकाले जाते हैं?

IVF प्रक्रिया में महिला के अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए हार्मोनल दवाएं दी जाती हैं, जिससे कई अंडे विकसित हो सकें। आमतौर पर, 8 से 15 अंडे निकाले जाते हैं, लेकिन यह संख्या महिला की उम्र, स्वास्थ्य और शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है।  

 

  • युवा महिलाओं (35 साल से कम) में अंडों की संख्या ज्यादा हो सकती है।  
  • 35 से अधिक उम्र की महिलाओं में अंडों की संख्या कम हो सकती है।  
  • हर महिला की प्रतिक्रिया अलग होती है, इसलिए कुछ मामलों में 5-6 अंडे भी प्राप्त हो सकते हैं, जबकि कुछ में 15-20 तक हो सकते हैं।  

 

डॉक्टर अधिक गुणवत्ता वाले अंडों का चयन करते हैं और जरूरत के अनुसार भ्रूण विकसित किए जाते हैं। सटीक जानकारी के लिए डॉक्टर की सलाह लें।

क्या आईवीएफ सुरक्षित है? (Is IVF Safe?)

हाँ, आईवीएफ एक सुरक्षित प्रक्रिया है और दुनियाभर में लाखों दंपतियों ने इसके जरिए सफल गर्भधारण किया है। यह मेडिकल साइंस की एक एडवांस तकनीक है, जिसे विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में किया जाता है। हालांकि, किसी भी उपचार की तरह इसमें भी कुछ संभावित जोखिम हो सकते हैं, जैसे हल्का दर्द, हार्मोनल बदलाव, या ओएचएसएस (OHSS)। लेकिन सही देखभाल और डॉक्टर की गाइडेंस से ये समस्याएँ आसानी से मैनेज की जा सकती हैं। आईवीएफ की सफलता महिला की उम्र, सेहत और इलाज की प्रक्रिया पर निर्भर करती है। इसलिए, यह जरूरी है कि सही सेंटर और अनुभवी डॉक्टर का चयन करें।

क्या आईवीएफ दर्दनाक होता है? (Is IVF Painful?)

आईवीएफ प्रक्रिया में हल्का दर्द या असहज महसूस हो सकता है, लेकिन यह ज्यादा तकलीफ देने वाला नहीं होता। अंडाणु संग्रहण (Egg Retrieval) के दौरान एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिससे कोई दर्द महसूस नहीं होता। इंजेक्शन और दवाओं की वजह से हल्की सूजन या ऐंठन हो सकती है, लेकिन यह अस्थायी होती है। भ्रूण प्रत्यारोपण (Embryo Transfer) भी लगभग बिना दर्द के होता है। कुल मिलाकर, आईवीएफ प्रक्रिया सामान्य रूप से सहने योग्य होती है, और डॉक्टर सही देखभाल देकर इसे आसान बना सकते हैं।

आईवीएफ का खर्च कितना है? (IVF Cost)

IVF Cost in Delhi कई कारकों पर निर्भर करती है। इसमें क्लिनिक की प्रतिष्ठा, स्थान और मरीज की चिकित्सा स्थिति शामिल हैं। दिल्ली में एक आईवीएफ चक्र की कीमत ₹90,000 से ₹1,25,000 तक हो सकती है। कुछ बड़े क्लीनिकों में यह खर्च ₹1,00,000 से ₹3,50,000 तक भी जा सकता है। सटीक लागत जानने के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।  

 

RISAA IVF, best IVF in India cost प्रदान करती है।में आईवीएफ की कीमत ₹50,000 से ₹2,00,000 तक हो सकती है। यह मरीज की जरूरत और इलाज के तरीके पर निर्भर करता है। सही जानकारी के लिए क्लिनिक से संपर्क करें।

आईवीएफ के बाद सही देखभाल क्यों जरूरी है?

आईवीएफ के बाद सही देखभाल बहुत जरूरी होती है। यह गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने और किसी भी जटिलता से बचने में मदद करता है। इस दौरान आराम, सही आहार और डॉक्टर की सलाह का पालन करना चाहिए। कुछ गतिविधियों से बचना जरूरी होता है ताकि भ्रूण गर्भाशय में सुरक्षित रूप से स्थापित हो सके। आइए देखते हैं, आईवीएफ के बाद किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।

 

IVF (आईवीएफ) के बाद जरूरी सावधानियां:

 

  • शारीरिक आराम करें, लेकिन पूरी तरह बेड रेस्ट जरूरी नहीं।
  • तनाव से बचें, यह हार्मोन बैलेंस को प्रभावित कर सकता है।
  • भारी सामान न उठाएं और झुकने से बचें।
  • संतुलित आहार लें, जिसमें प्रोटीन और फाइबर हो।
  • पर्याप्त पानी पिएं, शरीर हाइड्रेटेड रहना चाहिए।
  • डॉक्टर की दवाएं नियमित लें और कोई भी खुराक न छोड़ें।
  • यौन संबंध से बचें, भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद कुछ दिन तक।
  • धूम्रपान और शराब न लें, यह गर्भधारण को प्रभावित कर सकता है।

आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स (IVF Side Effects)

आईवीएफ क्या होता है? इन विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन एक सुरक्षित प्रक्रिया है, लेकिन कुछ मामलों में इसके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। यह महिला के शरीर की प्रतिक्रिया और इस्तेमाल की गई दवाओं पर निर्भर करता है। हल्के साइड इफेक्ट्स आम होते हैं, लेकिन कुछ जटिलताएँ भी हो सकती हैं। आइए देखते हैं आईवीएफ के संभावित साइड इफेक्ट्स:

 

  • सूजन और हल्का दर्द: अंडाणु संग्रहण के बाद पेट में हल्का दर्द और सूजन हो सकती है।  
  • हार्मोनल बदलाव: मूड स्विंग, सिरदर्द और गर्मी महसूस हो सकती है।  
  • संभावित रक्तस्राव: भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद हल्का रक्तस्राव या स्पॉटिंग हो सकता है।  
  • गर्भावस्था में जटिलताएँ: कभी-कभी गर्भपात या अस्थानिक गर्भावस्था (गर्भाशय के बाहर गर्भधारण) की संभावना बढ़ जाती है।  
  • ओएचएसएस (Ovarian Hyperstimulation Syndrome): ज्यादा हार्मोनल दवाओं से अंडाशय में सूजन आ सकती है, जिससे पेट दर्द, उल्टी और वजन बढ़ सकता है।  
  • मल्टीपल प्रेग्नेंसी: आईवीएफ से जुड़वां या ट्रिपल प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है, जिससे गर्भावस्था में जोखिम हो सकता है।  

 

अगर कोई गंभीर लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आप हमारे सेंटर में डॉ. रीता बक्शी से भी संपर्क कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए कॉल करें: 95555 44421/22/23

अंतिम शब्द

इस ब्लॉग में हमने आपको आईवीएफ से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारी दी है। आपने जाना कि आईवीएफ क्या होता है, यह प्रक्रिया कैसे की जाती है, इसमें कितने इंजेक्शन लगते हैं, और इससे जुड़ी दूसरी अहम बातें। हम उम्मीद करते हैं कि अब आपके मन में इस विषय से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे।  

 

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