आईयूआई उपचार (IUI Treatment) जिसका हिंदी में अर्थ होता है ‘कृत्रिम गर्भधारण’ | यह आधुनिक प्रक्रिया उन महिलाओं और जोड़ों के लिए बनाई गयी है जिनको गर्भधारण की समस्या है| यह टेक्नीक साधारण और सुरक्षित तरीका है जिससे कोई परिवार संतान की प्राप्ति कर सकता है |
इस उपचार में पुरुष के शुक्राणुओं को सीधा महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है, जिससे गर्भाशय में गर्भावस्था की संभावना बढ़ जाती है। और आज हम इसी विषय पर गंभीरता से चर्चा करेंगे की यह प्रक्रिया किसके लिए है और इसका उपयोग किन लोगो को करनी चाहिए|
आईयूआई उपचार किसको लेना चाहिए?
- जिन जोड़ो को संतान प्राप्ति करने में दिक्कत हो रही है तो वह आईयूआई की सहायता ले सकते है|
- ना केवल सिर्फ जोड़ो, यह तकनीक उन व्यक्तियों को भी लाभ पहुँचाती है जो गर्भवती होने के लिए दाता शुक्राणु का उपयोग करना चाहते हैं|
- जिन पुरुष के शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम है वह इस उपचार का सहारा ले कर संतान प्राप्ति कर सकते हैं|
- अगर महिला को गर्भाशय ग्रीवा बलगम (सर्विक्स) की समस्या है तो वह भी इस उपचार को ले सकती है|
आईयूआई की प्रक्रिया
आमतौर पर IUI एक सुरक्षित इलाज है लेकिन इसका इस्तेमाल करने से पहले पूरी जांच और परामर्श के बाद ही आगे की प्रक्रिया होती है|
- जांच परामर्श: आप IUI के लिए योग्य हैं कि नहीं इसका पता करने के लिए पुरुष अथवा महिला दोनों पर कुछ हार्मोनल जांचें की जाती है जैसी की अल्ट्रासाउंड (Ultrasound), और वीर्य विश्लेषण (Semen Analysis), जिसमें दोनों की कमियां पता लग जाती और आगे का इलाज किया जाता है|
- अंडाशय उत्तेजक दवाएं: जांच करने के बाद डॉक्टर आपके अंडाशय को एक से अधिक अंडे उत्पन्न करने के लिए दवाइयां देते हैं| जिससे महिला के शरीर में स्वस्थ अंडे का उत्पादन बढ़ जाता है और उसके गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
- निगरानी: डॉक्टर कुछ दिनों तक आपको निगरानी में रखेगा जिसमे वह आपके शुक्राणु के स्वस्थ होने का इंतज़ार करता है| ओवुलेशन का सही समय निर्धारित करना महत्वपूर्ण होता है, जो की डॉक्टर अल्ट्रासाउंड या हार्मोनल टेस्ट के माध्यम से ओवुलेशन की निगरानी करते हैं।
- शुक्राणु का चयन: जब आपका शरीर स्वस्थ शुक्राणु उत्पन्न करने लगता है तो डॉक्टर पुरुष के शुक्राणु लेकर सुरक्षित लेबोरेटरी में रख देता है और प्रयोगशाला में शुक्राणुओं को अलग करने के लिए विशेष प्रक्रिया से गुजारा जाता है। शुक्राणु लेने के बाद 3 दिन से पहले ही इसका इस्तेमाल किया जाता है|
- IUI प्रक्रिया: ओवुलेशन के सही समय पर, एक स्पेशलिस्ट, लेबोरेटरी मे रखे गए शुक्राणु में से सबसे स्वस्थ शुक्राणु का चयन करता है और एक पतली कैथेटर के माध्यम से महिला के गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स ) से होते हुए गर्भाशय में डाल देता है । इस प्रक्रिया में सिर्फ कुछ ही मिनट का समय लगता है और आम तौर पर दर्द रहित होता है|
- प्रेगनेंसी टेस्ट: एक बार डॉक्टर सफलतापूर्वक शुक्राणु को महिला के गर्भाशय में डाल दे, तो उसके कुछ दिन उपरांत महिला अपने गर्भधारण की जांच (प्रेगनेंसी टेस्ट) कर सकती है|
प्रक्रिया का समय
इस प्रकिया का सबसे जटिल समय होता है जब डॉक्टर बारीकी से शुक्राणु को महिला के गर्भाशय मे डालता है जिसमे केवल कुछ ही मिनट का समय लगता है| लेकिन सम्पूर्ण प्रक्रिया में कुछ दिन या कुछ हफ्ते लग सकते है जो की हर जोड़ो के लिए अलग अलग भी हो सकता है| आमतौर पर निगरानी और जांच में कम से कम 5 दिन का तो समय लगता है उसके बाद ट्रांसफर प्रक्रिया में एक पुरा दिन का समय लगता है| एक बार प्रक्रिया सफलता से हो जाये तो 1 महीना के उपरांत महिला को प्रेगनेंसी की खबर प्राप्त हो जाती है|
आईयूआई के संभावित नुकसान और जोखिम
यह एक बेहद सुरक्षित प्रक्रिया है, लेकिन कुछ संभावित नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे की
- अंडाशय अति उत्तेजना (Ovarian hyperstimulation syndrome OHSS) यह दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है जो कुछ महिलाओं में अंडाशय उत्तेजक दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कारण हो सकती है। इसके सिंड्रोम के वजह से पेट में तीव्र दर्द, सूजन और मतली हो सकती है|
- इन्फेक्शन कुछ ही मामलों में देखा गया है कि IUI Treatment (आईयूआई के उपचार) के बाद महिला के अंदर उसके गर्भाशय के आसपास किसी तरह का इन्फेक्शन हो जाता है|
- अधिक गर्भावस्था जब IUI के साथ अंडाशय उत्तेजक दवाओं का उपयोग किया जाता है, तो जुड़वाँ या एक से ज्यादा गर्भधारण का खतरा बढ़ जाता है।
- दवाओं से नुकसान शरीर की इम्युनिटी कम होने के कारण आपको कुछ दवाइयों के विपरीत लक्षण दिख सकतें है|
- असफलता आईयूआई हमेशा ही सफल नहीं होता है इसकी सफलता या विफलता आपकी शरीर की स्थिति पर निर्भर करती है। अगर पुरुष के शुक्राणु 2 मिलियन प्रति मिलीलीटर से कम है या फिर महिला के अंदर किसी अन्य तरह की बीमारी है तो यह प्रक्रिया नाकाम भी हो जाती है|
आईयूआई उपचार का सफलता दर
आईयूआई का सफलता दर आपके शरीर के ऊपर निर्भर होती है| आप जितने स्वस्थ होंगे शुक्राणुओं की सफलता दर उतनी ही होगी|
- 35 से कम उम्र की महिला में पहली साइकिल मे सफलता का प्रतिशत करीब 5% से 10% होता है|
- जो महिलाएं 2 या 2 से अधिक बार ये प्रक्रिया कराती हैं, उनमें यह दर बढ़कर 15% से 25% तक हो जाती है|
- अगर महिला या पुरुष दोनों ही बच्चा हासिल करने की स्थिति में नहीं हैं या जिनके चान्सेस नहीं के बराबर हो तो वह भी डोनर स्पर्म और डोनर एग्स की मदद से संतान प्राप्त कर सकते हैं|
प्रमुख ध्यान
आईयूआई की यह खासियत है की अगर एक बार में सफलता नहीं मिलती है तो आप 3 से 4 बार इंजेक्शन ले सकती हैं|
जिन जोड़ो को गर्भधारणा मे समस्या है तो वह इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकते है आईयूआई एक मान्यतापूर्ण और साधारण उपचार और इसका उपयोग परिवार में खुशहाली लाने का काम करता है|
अगर आपको Infertility (निसंतान) बांझपन)की समस्या महसूस होती है तो आपको अपने स्वस्थ सहलाकर से विचार विमर्श करने के बाद आईयूआई का चयन करना चाहिए| उपचार लेने से पहले आपको उसके सारे फायदे नुकसान जानकर अपने साथी के साथ मिलकर किसी भी इलाज को चुनना चाहिए|